आवश्यकता पर इच्छा का प्रभाव न पड़े तो अच्छा है।
अमीर-गरीब, पूंजीवाद-साम्यवाद, परिग्रह-अपरिग्रह के वैचारिक द्वंद्व से कोई भी देश अछूता नहीं है। यह बहस कहीं चिंता पैदा कर रही है तो कहीं चिंतन के लिए बाध्य कर रही है। कहीं टकराव इसका आदि बिंदु है तो कहीं निराकरण की खोज का प्रयास है। ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है। यह सिलसिला विकास […]
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